आत्मरक्षा, शांति, समृद्धि और विकास का प्रतीक है राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा। आईये जानते हैं राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के बारे में ।

Date: 15-08-2018

(ग्लोबल ख़बर)। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा का विशेष सम्मान है। धर्म-जाति-भाषा आदि मसलों को लेकर देश के अंदर कितने भी मतभेद हों लेकिन जब राष्ट्र पर कोई संकट आता है तो सभी भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंग की छत्रछाया में एक हो जाते हैं। लौह पुरूष के नाम विश्व चर्चित सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भी कहा था कि देश की मिट्टी में कुछ अनूठा है, जो कई बाधाओं के बावजूद हमेशा महान आत्माओं का निवाश रहा है। राष्ट्रीय ध्वज की अभिकल्पना आंध्र प्रदेश के रहने वाले कृषि वैज्ञानिक व स्वतंत्रा सेनानी पिंगली वैंकेया ने की थी। और इसे संविधान सभा ने अपनाया था 22 जुलाई 1947 को। आईये जानते हैं अपने राष्ट्रीय ध्वज के बारे में।  

- राष्ट्रीय ध्वज में तीन समान चौड़ाई के क्षैतिज पट्टियां हैं - सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी है। 

- ध्वज की लंबाई एवं चौड़ाई का अनुपात 3:2 है। सफेद रंग के पट्टी के मध्य में गहरे नीले रंग का एक चक्र है जिसमें 24 आरे (तीलियों) हैं। 

- चक्र का व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर होता है। इसे सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है। 

- राष्ट्रीय ध्वज से साफ इंगित होता है कि भारत आत्मरक्षा, शांति, समृद्धि और सदैव विकास की ओर अग्रसर है।

- राष्ट्रीय ध्वज खादी के कपड़ो से बनाया जाता है। 

- केसरिया रंग : राष्ट्रीय ध्वज में सबसे ऊपर केसरिया रंग है जो देश की शक्ति और साहस को दर्शाता है।

- श्वेत रंग - बीच की पट्टी सफेद रंग की है जो शांति और सत्य का प्रतीक है।

- हरा रंग - सबसे नीचे हरी पट्टी है जो उर्वरता, वृद्धि और भूमि की पवित्रता को दर्शाती है। 

- धर्म चक्र - धर्म चक्र को विधि चक्र भी कहते है। इसे सम्राट अशोक द्धारा निर्मित सारनाथ स्थित अशोक स्तंभ से लिया गया है। इस चक्र में 24 तीलियां है जो यह दर्शाता है कि दिन-रात के 24 घंटे जीवन गतिशील है। और रूकने का अर्थ मृत्यु है। 

- अधिकृत तौर पर राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण कर्नाटक के हुबली जिले के बंगरी स्थित तुलसीगिरी में तैयार किया जाता है। यहां कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त केंद्र द्धारा तैयार किया जाता है। 

 

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराने के नियम : 

 

राष्ट्रीय ध्वज को फहराने को लेकर कड़े नियम थे लेकिन 26 जनवरी 2002 को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज संहिता में संशोधन किया गया। इसके तहत अब भारत के प्रत्येक नागरिकों को अपने घरों, कार्यालयों और फैक्ट्रियों आदि संस्थानों में न केवल राष्ट्रीय दिवसों पर, बल्कि किसी भी दिन बिना किसी रुकावट के फहराने की अनुमति मिल गई। अब भारतीय नागरिक राष्ट्रीय झंडे को कहीं भी और किसी भी समय फहरा सकते है, बशर्ते कि वे ध्वज की संहिता का कड़ाई से पालन करें और तिरंगे के सम्मान में कोई कमी न आने दें।  

 राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के फहराने और उनके सम्मान में कुछ नियम हैं जो निम्नलिखित हैं - 

 

-राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को अब कभी भी सम्मान के साथ फहरा सकते हैं। पहले सूर्योदय और सूर्यास्त के मध्य ही फहराने का नियाम था लेकिन अब इसमें बदलाव किया गया है। अब रात में भी फहराया जा सकता है। लेकिन इसके लिये शर्त है कि झंडे का पोल लंबा हो और झंडा खुद भी दिखे और भव्य हो। झंडे कभी भी फहराने को लेकर उद्योपति व सांसद नवीन जिंदल द्धारा इस बारे में रखे गये प्रस्ताव के बाद केंद्रीय गृहमंत्रालय ने इसपर फैसला किया।

- राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हाथ से काते और बुने गए ऊनी, सूती, सिल्क या खादी से बना होना चाहिए। आकार आयताकार होना चाहिए। इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 का हो। 

- राष्ट्रीय ध्वज को कभी भी जमीन पर नहीं रखा जा सकता। हमेशा सम्मान के  साथ रखे। 

- तिरंगे को आधा झुकाकर नहीं फहराया जा सकता सिवाय उन मौकों के जब सरकारी इमारतों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराने के आदेश जारी किए गए हों।

- राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के समय इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिये कि केरिया रंग हमेशा ऊपर हो। 

 - झंडे को कभी पानी में नहीं डुबोया जा सकता। किसी भी तरह फिजिकल डैमेज नहीं पहुंचा सकते। झंडे के किसी भाग को जलाने, नुकसान पहुंचाने के अलावा मौखिक या शाब्दिक तौर पर इसका अपमान करने पर तीन साल तक की जेल या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

- झंडे का कमर्शल इस्तेमाल नहीं कर सकते। किसी को सलामी देने के लिए झंडे को झुकाया नहीं जाएगा। अगर कोई शख्स झंडे को किसी के आगे झुका देता हो, उसका वस्त्र बना देता हो, मूर्ति में लपेट देता हो या फिर किसी मृत व्यक्ति (शहीद आर्म्ड फोर्सेज के जवानों के अलावा) के शव पर डालता हो, तो इसे तिरंगे का अपमान माना जाएगा।

- तिरंगे की यूनिफॉर्म बनाकर पहनना गलत है। अगर कोई शख्स कमर के नीचे तिरंगे को कपड़ा बनाकर पहनता हो तो यह भी अपमान है। तिरंगे को अंडरगार्मेंट्स, रुमाल या कुशन आदि बनाकर भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

- झंडे पर किसी तरह के अक्षर नहीं लिखे जाएंगे। खास मौकों और राष्ट्रीय दिवसों जैसे गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झंडा फहराए जाने से पहले उसमें फूलों की पंखुड़ियां रखने में कोई आपत्ति नहीं है।

-फहराए गए झंडे की स्थिति सम्मानजनक बरकरार होनी चाहिए। फटा या मैला-कुचैला झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए। झंडा फट जाए, मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से पूरी तरह नष्ट कर दिया जाए।

- यदि झंडे को किसी मंच पर फहराया जाता है, तो उसे इस प्रकार लगाया जाना चाहिए कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो झंडा उसके दाहिनी ओर रहे। एक तरीका यह भी है कि झंडे को वक्ता के पीछे दीवार के साथ और उससे ऊपर लेटी हुई स्थिति में प्रदर्शित किया जाए।

- किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय झंडे से ऊंचा या उससे ऊपर या उसके बराबर नहीं लगाया जा सकता। इसके अलावा, फूल, माला, प्रतीक या अन्य कोई वस्तु झंडे के पोल के ऊपर रखी जाए। 

राष्ट्रीय ध्वज हम भारतीयों के लिये प्राणों से भी अधिक प्यारा है। 

 



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